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Godham Pathmeda

Wednesday, September 5, 2007

गो-संरक्षण का प्रथम चरण



राजस्थान में जालोर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर व बनासकांठा गुजरात क्षैत्र में कुल ५२ गोसेवा आश्रम तथा अन्य अस्थायी ७८ केन्द्रो पर हजारों की संख्या में गोवंश जो अत्यंत कुपोषण का शिकार, लूला, लंगडा, अंधा, रोग-ग्रस्त तथा कसाईयों द्रारा मुक्त कराया गया हैं। इस गोवंश की सेवा संस्था द्वारा की जा रहीं है।संस्था के केन्द्रो में सेवा सामग्री तथा संसाधनो का अभाव हैं। अतः गो भक्तो से निवेदन है कि नियमित सेवा सामग्री, घासचारा, पौष्टिक आहार, औषधि, जल, छाया आदि के स्थाई संसाधनों चिकित्सालयों, गोविश्रामगृह, चारा-भंड़ार, जलकूप, तालाब, जमीन आदि में अपनी शक्ति व सामर्थ के अनुसार सहयोग करना चाहिए। इसी क्रम में दानदाताऒ के सहयोग से संस्था ने सिरोही जिले के कोल्हापुरा, केसुआ व जालोर जिले के केर-धूलिया, पूरण-पंचेरी व सूरजवाड़ा में हजारो बीघा रेतीली जमीन सस्ती दर से खरीद की हैं। जिसमें गो-वंश स्वछंद विचरण करता हैं। उक्त भूखंड़ सुंधामाता पहाड़ के पीछे बाळु रेत के धोरों में आए हुएं हैं।