Godham Pathmeda
Tuesday, December 25, 2007
Monday, December 24, 2007
Sunday, December 23, 2007
श्रीगोधाम की वेबसाईट का लोकार्पण
महोत्सव के अंतिम दिन साध्वी दीदी ऋतंबराजी के करकमलों से श्रीगोधाम की वेबसाईट का विधिवत लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर लोकार्पण कराते साधक रविन्द्रपुरी, प्रेम सुरतानिया, पूनम राजपुरोहित सहित अन्य साधकगण।
श्रीगोधाम में गीता व दत्ताजयंती समारोह

Saturday, December 22, 2007
Thursday, December 20, 2007
Tuesday, December 18, 2007
गो-संवर्धन में प्रगतिः-
श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के पांच गोसेवाश्रमों, श्री गोपाल गोवर्धन, श्री खेतेश्वर गोसेवाश्रम, श्री जलाराम गोसेवाश्रम, और जालोर सिरोही व बनासकांठा के गांवों में प्रतिवर्ष ८ से १० हजार गायों का उन्नत भारतीय देशी नस्ल के सांडों के द्वारा संवर्धन कार्य किया जाता हैं। कामधेनु कल्याण परिवार प्रतिवर्ष १०० उन्नत नस्ल के नन्दी तैयार करके दान करता हैं। गरीब किसानों को भी प्रतिवर्ष ५ सौ जोड़ी बैल सशक्त एवं सुड़ोळ स्वलप शुल्क में उपलब्ध करवाता हैं। श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा ने इस काम को प्राथमिकताके रुप में लेकर समीप के सिरोही जिले के कोल्हापुर में हजार बीघा कृषि भूमि खरीद कर नंदी गोशाला का निर्माण करना शुरु कर दिया हैं। सुंधा के पिछवाड़े स्थित इस अरण्य वन क्षैत्र में साळ में ६ माह ४-५ हजार नंदी स्वछंद विचरण कर प्रकृति का आनन्द लेते हैं। संस्था ने नंदीयों के गो-स्टेड़ियम के निर्माण करनें की कार्य-योजना बनाई हैं।
Monday, December 17, 2007
Saturday, December 15, 2007
Wednesday, September 5, 2007
गो-संरक्षण का प्रथम चरण
राजस्थान में जालोर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर व बनासकांठा गुजरात क्षैत्र में कुल ५२ गोसेवा आश्रम तथा अन्य अस्थायी ७८ केन्द्रो पर हजारों की संख्या में गोवंश जो अत्यंत कुपोषण का शिकार, लूला, लंगडा, अंधा, रोग-ग्रस्त तथा कसाईयों द्रारा मुक्त कराया गया हैं। इस गोवंश की सेवा संस्था द्वारा की जा रहीं है।संस्था के केन्द्रो में सेवा सामग्री तथा संसाधनो का अभाव हैं। अतः गो भक्तो से निवेदन है कि नियमित सेवा सामग्री, घासचारा, पौष्टिक आहार, औषधि, जल, छाया आदि के स्थाई संसाधनों चिकित्सालयों, गोविश्रामगृह, चारा-भंड़ार, जलकूप, तालाब, जमीन आदि में अपनी शक्ति व सामर्थ के अनुसार सहयोग करना चाहिए। इसी क्रम में दानदाताऒ के सहयोग से संस्था ने सिरोही जिले के कोल्हापुरा, केसुआ व जालोर जिले के केर-धूलिया, पूरण-पंचेरी व सूरजवाड़ा में हजारो बीघा रेतीली जमीन सस्ती दर से खरीद की हैं। जिसमें गो-वंश स्वछंद विचरण करता हैं। उक्त भूखंड़ सुंधामाता पहाड़ के पीछे बाळु रेत के धोरों में आए हुएं हैं।
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